लेबर चौक से लेकर कारखानों तक मजदूरों की दयनीय हालत के दृश्य


Scenes of laborers' condition from Labor Square to factories

 

दृश्य- एक

सुबह 10 बजे, साहिबाबाद का लेबर चौराहा. एक आदमी बाइक पर आकर खड़ा होता है. उसे दो लेबर चाहिए. वो एक लेबर से बात करता है तभी उस आदमी को कई मजदूर घेर लेते हैं. एक दूसरा लेबर भी घेर लेता है. फिर शुरु होता है बारगेनिंग का खेल. एक मजदूर 200 रुपये मांगता है, दूसरा 150 में ही चलने को तैयार है. तब तीसरा बोलता है साहेब 100 रुपये दे देना.

पहला बोलता है कि साहब मुझसे बात कर रहे थे तो तू बीच में क्यों कूदा! और फिर आपस में दोनों मजदूर लड़ने लग जाते हैं. पहले धक्का-मुक्की होती है और फिर जूतम पैजार. वो आदमी तीसरे मजदूर को 100 रुपये में तय करके अपने साथ ले जाता है. फैजाबाद के मोहित बताते हैं कि साहब ये तो रोज का किस्सा है.

दृश्य- दो

उत्तर प्रदेश, नोएडा का सूरजपुर क्षेत्र. एक दिन की छुट्टी के बाद अगले दिन जब मोजरबीयर कंपनी के गेट पर सैंकड़ों कर्मचारी हमेशा की तरह वर्किंग टाइम पर पहुंचे तो कंपनी के गेट पर एक नोटिस चस्पा पाया. जिसमें लिखा था कि मोजरबीयर की नोएडा यूनिट हमेशा के लिए बंद कर दी गई है. हजारों मजदूर अपना टिफिन कंपनी के गेट पर छोड़कर आँखों में अँधेरा और मन में हताशा लिए अपने-अपने घर वापिस लौट रहे हैं.

दृश्य- तीन

हरियाणा का लेबर कोर्ट. 15 साल नौकरी के बाद साल 2014 में बिना कोई वजह बताए हीरो मोटो कॉर्प से निकाले गए 150 मजदूर व मजदूर नेता मनोज कुमार लेबर कोर्ट में जज के सामने खड़े हैं. उनको लगभग धमकाते हुए जज कहता है, “पैसे लेने है तो ले वरना भाग जा यहां से, तेरे जैसे मजदूर नेता बहुत देखे हैं.”

मनोज कहते हैं कि सभी मजदूरों को नौकरी दी जाए. इसके अलावा उन्हें कुछ नहीं चाहिए. लेबर कोर्ट का जज कहता है, “नौकरी की बात दिमाग से निकाल दो और 25-30 हजार रुपये सालाना पैसे लेकर सेटलमेंट कर इस बात को खत्म कर दो. मोटे तौर पर 15 साल का मुआवजा 4.5 लाख रूपये. सभी लड़कों के चेक मँगवा लिए गए हैं. तुझे प्रति लड़के के हिसाब से 2-3 हजार रुपये ज्यादा दे दिया जाएगा. तुम्हारे पास कोई सबूत नहीं है कि तुम इस कंपनी के मजदूर हो. मैं केस को डिसमिस कर दूंगा.”

दृश्य- चार

गुजरात के कूड़ासन शहर में वसंत रेडीवाटर कंपनी. शासन की सह पर स्थानीय गुंडे भाला, लाठी-डंडा लेकर 45 बिहारी मजदूरों को पीट रहे हैं. जबकि अपनी दो-दो महीने की कमाई और सारा सामान छोड़कर लाखों मजदूर बीबी-बच्चों समेत सूरत से छपरा जाने वाली ताप्तीगंगा ट्रेन में लदे-फँदे किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं.

दृश्य- पांच

नीमराना, हरियाणा का जापानी बेल्ट. डाईकिन कंपनी के गेट पर यूनियन का झंडा लगाने के लिए कुछ मजदूर लाल झंडा लेकर आगे बढ़ते हैं, तभी पहले से तैयार बैठे कंपनी के बाउंसर और हरियाणा पुलिस उन पर हमला कर देती है. किसी का सिर फूटता है तो किसी का पैर टूटता है. बाद में पीड़ित मजदूरों पर ही केस दर्ज करके जेल में ठूंस दिया गया.

दृश्य- छह

सात करोड़ पाठकों वाला हिंदी के नामी अखबार की हेडलाइन है- ‘श्रमिक आंदोलनों का मास्टरमाइंड दबोचा’. खबर पढ़ते हुए टेक जेनरेशन के चार युवा कहते हैं, “इतनी सहूलियत है, इसके बावजूद ये मजदूर हड़ताल करते हैं, इन हरामखोरों को तो नंगा करके हंटरों सी पीटा जाना चाहिए.”

दृश्य – सात

एक मजदूर नोएडा की एक निर्माणाधीन इमारत से गिरकर मर गया है. ठेकेदार मजदूर की विधवा को धमकाते हुए कहता है,” तुम्हारा पति अपनी लापरवाही से गिरकर मरा है. जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ. अपने बच्चों के बारे में सोचो और 50 हजार रुपये लेकर अपने गांव लौट जाओ, मुकदमा करोगी तो जिंदगी कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने में बीत जाएगी और ढेला तक नहीं मिलेगा.”

दृश्य- आठ

नोएडा के लेबर चौक पर एक मजदूर एक्टिविस्ट फैक्ट्री मजदूरों से पूछता है- क्या तुम्हारे फैक्ट्री में मजदूर यूनियन है. मजदूरों को मानों करंट लग गया हो. भागो-भागो भाई यहां से, हम सबकी नौकरी छुड़वाओगे क्या तुम. क्या तुम नहीं जानते कि कंपनी में ‘यूनियन’ का नाम लेना सबसे बड़ा अपराध है. जबकि उसी रात कंपनी मैनेमेंट द्वारा उस मजदूर को नौकरी से निकाल दिया गया, फैक्ट्री के बाहर के किसी लेबर एक्टिविस्ट से बात करके फैक्ट्री में यूनियन बनवाने की साजिश रचने के अपराध में.

दृश्य- 9

बिहार के बक्सर में एक तेज रफ्तार गाड़ी मुसहर समुदाय की एक बच्ची को कुचल कर भाग गई. आक्रोशित लोगों ने सड़क जाम कर दी. पुलिस ने नामजद एफआईआर दर्ज करके 25 लोगों को जेल में फेंक दिया. 23 लोग जमानत पर छूट गए, लेकिन जमानत के पैसे के आभाव में दिहाड़ी मजदूर शिव कुमार तीन महीने जेल में सड़ता रहा, जबकि उसके बिना दरवाजे वाले घर में खाट पर पड़ी है भूख से मरे पांच वर्षीय गोविंदा और दो वर्षीय एतवरिया की लाश.

दृश्य-10

हजारों कैमरों के सामने चुनाव की दहलीज पर बैठकर प्रधानमंत्री धो रहे हैं सफाईकर्मियों के पाँव.
जबकि पोस्टमार्टम रूम में डॉक्टर सीवर में डूबकर मरे 5 सफाईकर्मियों की आँत से निकाल रहे हैं कीचड़.


प्रसंगवश