मध्यप्रदेश : शहरों में टूटा बीजेपी का वर्चस्व
मध्य प्रदेश के चार बड़े शहरों पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि इस बार शहरों में भी बीजेपी का वर्चस्व टूटा है। इन आंकड़ों पर गौर करें-
राजधानी भोपाल में विधान सभा की सात सीटें हैं। 2013 में बीजेपी ने इनमें से छह सीटें जीती थीं। कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट गई थी। इस बार कांग्रेस वहां चार सीटें जीतने वाली है। बीजेपी की झोली में सिर्फ तीन सीट सीटें जा रही है।
इंदौर में कहानी ज्यादा पलटी है। वहां आठ सीटें हैं। 2013 में आंकड़ा था बीजेपी-7 और कांग्रेस-1. इस बार दोनों पार्टियों के बीच 4-4 सीटें बंटती दिखी है।
जबलपुर में भी आठ सीटें हैं। 2013 में बीजेपी पांच और कांग्रेस दो सीटें यहां जीती थी। इस बार दोनों पार्टियों ने सभी सीटें आपस में बांट ली है। कांग्रेस के पाले में तीन सीटें जा रही हैं, जबकि बीजेपी पांच जीतने में सफल रही है। यानी यहां बीजेपी ने अपनी हैसियत बरकरार रखी है, लेकिन कांग्रेस ने अपनी स्थिति सुधारी है।
मध्य प्रदेश का चौथा बड़ा शहर है उज्जैन। यहां भी आठ सीटें हैं। 2013 में ये सभी सीटें बीजेपी अपनी झोली में ले गई थी। मगर इस बार कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए छह पर बढ़त बना ली। बीजेपी को महज दो सीटों से संतोष करना पड़ रहा है।