शोर-शराबे के बीच कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही 19 जुलाई तक स्थगित


Karnataka assembly proceedings adjourned till tomorrow morning

 

हंगामे के बाद कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही 19 जुलाई की सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. जिसकी वजह से विश्वास मत पर वोटिंग कल तक के लिए टल गई है. फ्लोर टेस्ट नहीं होने की वजह से बीजेपी विधायकों ने रात भर सदन में रुकने का फैसला किया है.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार को गिराने का प्रयास कर रही है. वहीं बीजेपी ने जानबूझकर मतदान में देरी का आरोप लगाया है.

इस बीच कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों ने विधानसभा में कांग्रेस विधायक श्रीमंत पाटिल की फोटो लहराई. श्रीमंत पाटिल मुंबई के अस्पताल में भर्ती हैं.

कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा में आरोप लगाया कि उसके विधायक श्रीमंत पाटिल को गठबंधन सरकार गिराने के प्रयासों के तहत अगवा कर लिया गया है. कांग्रेस ने कहा कि पार्टी विधायकों के साथ एक रिजॉर्ट में होने के बाद पाटिल अचानक गायब हो गए और उसके बाद से वह किसी से संपर्क में नहीं हैं.

विधानसभा में जब मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई तब वरिष्ठ नेता डी के शिवकुमार ने आरोप लगाया कि पाटिल को अगवा करके मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने गृह मंत्री एमबी पाटिल को विधायक श्रीमंत पाटिल के परिजनों से संपर्क करने और उन्हें सुरक्षा देने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति स्वभाविक नहीं लग रही है.

बीजेपी की मांग है कि विधानसभा अध्यक्ष राज्यपाल की बात मानें.

बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘ हम विश्वास प्रस्ताव पर फैसला होने तक रूके रहेंगे.’’

उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर ठीक तरह से 15 मिनट भी चर्चा नहीं हुई है और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य अन्य मुद्दों को उठा रहे हैं ताकि विश्वास प्रस्ताव पर विलंब कराया जा सके.

उन्होंने कहा, ‘‘ संवैधानिक रूपरेखा का उल्लंघन हुआ है.’’

येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘ इसका विरोध करने के लिए हम यहीं सोएंगे.’’

कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने विधानसभा अध्यक्ष से एचडी कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास मत प्रस्ताव की प्रक्रिया 18 जुलाई को ही पूरी करने को कहा था. जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने मानने से इनकार कर दिया है.

कांग्रेस विधायक एचके पाटिल ने कहा, “संविधान के अनुसार राज्यपाल सत्र की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकते. मैं राज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि वे सत्र की कार्यवाही में हस्तक्षेप न करें.”


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