नए रंग में गांधी की खादी


 

खादी को जब वस्त्र नहीं विचार कहा जाता है तो इसके पीछे छोटे उद्योगों को खड़ा करने और इससे आने वाली आत्मनिर्भरता होती है. इसी बात को साबित कर रही हैं वर्धा में ग्रामीण महिलाएं जो खादी को नए रंग में दुनिया के सामने पेश कर रही हैं.


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