ओडीएफ का दावा किताबी है!


 

स्वच्छता अभियान और उसे गांधी के सपनों के भारत से जोड़कर देखना एक बात है लेकिन काम के सही आकलन के लिए जमीनी हकीकत से रूबरू होना भी उतना ही जरूरी है. स्वच्छता अभियान को शुरू हुए भले ही दो साल पूरे हो गए हों लेकिन ये अभियान कितना स्वच्छ है इसकी झलक उत्तर प्रदेश के कानपुर में देखने को मिलती है जहां फैली भ्रष्टाचार की गंदगी के खिलाफ ग्रामीण प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. कानपुर से चंद्रकांत तिवारी और दिल्ली से शशांक पाठक की रिपोर्ट


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